कालीन
सोनभद्र के उत्कृष्टता पूर्वक डिज़ाइन किए गए कालीन बहुत ही लोकप्रिय हैं । मध्य एशिया के मैदानी भागों में कालीन बनाने की कला का विकास हज़ारों वर्षों पहले ही हो गया था । इसके विकास का मुख्य कारण सर्दियों से बचाव था। इस हेतु सरलता से उपलब्ध भेड़ की खाल का प्रयोग किया जाता था । ये हस्तनिर्मित उत्पाद अपनी कलात्मकता, रचनात्मक डिज़ाइन और पैटर्न के लिए जाने जाते थे । आज भी शिल्पकार कालीन निर्माण कला की विशिष्टता बनाए रखने के लिये पारंपरिक तरीकों का ही प्रयोग करते हैं । इस प्रकार की सम्मोहक व नयनाभिराम डिज़ाइन केवल हस्तनिर्मित कालीनों पर ही संभव है । उस समय के शिल्पकार घरों एवं दावत ख़ानों की सजावट के लिए भी कालीनों का निर्माण करते थे ।
परिचय
सोनभद्र विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के दक्षिण पश्चिम में स्थित है । यह जनपद 4 मार्च 1989 को जनपद मिर्जापुर के कुछ भागों को काट कर बनाया गया था । यह उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा नगर है । सोनभद्र नगर खनिजों एवं वन संसाधनों से समृद्ध है, हालांकि यहाँ के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि ही है । यहाँ पर कृषि आधारित, वन व खनिज आधारित यथा चूना, पत्थर, ईंट, मुजैक टाइल्स , स्टोन क्रशिंग एवं संगमरमर पत्थरों से संबंधित संसाधनों के विकास की प्रबल संभावना है । यह जनपद बुंदेलखंड क्षेत्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा पर्यावरणीय समानताओं को अपने में समेटे हुए है ।
सोनभद्र को पूर्वाञ्चल क्षेत्र के पर्यटन केंद्र की उपाधि दी गई है , इसका प्रोत्साहन उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा भी किया गया है । सोनभद्र क्षेत्र का दक्षिणी भाग "भारत की ऊर्जा राजधानी" के नाम से जाना जाता है । इस क्षेत्र में बहुत से विद्युत उत्पादन केंद्र तथा तीन ताप विद्युत उत्पादन केंद्र भी हैं । यह क्षेत्र वनीय व पर्वतीय होने के कारण औद्योगिक स्वर्ग है । कुछ पहाड़ियाँ चूने के पत्थर तथा कुछ पहाड़ियाँ कोयले से समृद्ध हैं ।
सोनभद्र हाथ से बुने हुए कालीनों के लिए भी प्रसिद्ध है । कालीन बनाने की कला का विकास फारस तथा भारत में तकनीकी एवं कलात्मक दोनों रूपों में हुआ । लूम, लकड़ी के दो डंडों की सहायता से बनाए जाते है जिसे ज़मीन से जकड़े रखा जाता है और इन दोनों के बीच कालीन के तार को फंसा कर कसा जाता है ।
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पंजीकृत
औद्योगिक इकाइयाँ
5863
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- कृषि आधारित
- ऊनी , रेशमी एवं कृत्रिम धागों से निर्मित वस्त्र
- रेडीमेड गारमेंट्स एवं कढ़ाई
- लकड़ी/लकड़ी आधारित फर्नीचर
- कागज एवं कागज उत्पाद
- रसायन/रसायन आधारित
- रबर, प्लास्टिक एवं पेट्रो आधारित
- खनिज आधारित
- धातु आधारित (स्टील फ़ेब्रिकेशन)
- इंजीनियरिंग इकाइयाँ
- विद्युत मशीनरी एवं यातायात उपस्कर
- मरम्मत एवं सर्विसिंग
- अन्य
संबन्धित योजनाएँ एवं नीतियाँ
क्रमांक |
विभाग |
योजना |
1 |
कपड़ा मंत्रालय |
प्लेन पावरलूम हेतु इन्सिटु उन्नयन योजना |
2 |
कपड़ा मंत्रालय |
समूह वर्क शेड योजना |
3 |
कपड़ा मंत्रालय |
यार्न बैंक योजना |
4 |
कपड़ा मंत्रालय |
सी.एफ.सी. (सामान्य सुविधा केंद्र) योजना |
5 |
कपड़ा मंत्रालय |
प्रधानमंत्री हथकरघा बुनकर ऋण योजना |
6 |
कपड़ा मंत्रालय |
हथकरघों हेतु सौर ऊर्जा योजना |
7 |
कपड़ा मंत्रालय |
सुगमता, सूचना तकनीक, जागरूकता, विपणन विकास एवं प्रचार प्रसार |
8 |
कपड़ा मंत्रालय |
टैक्स-वेंचर कैपिटल फंड |
9 |
कपड़ा मंत्रालय |
ग्रांट-इन-एड तथा हथकरघा उन्नयन व आधुनिकीकरण केंद्र |
10 |
कपड़ा मंत्रालय |
संशोधित तकनीकी उन्नयन फ़ंड योजना (ए.टी.यू.एफ.एस.) |
11 |
कपड़ा मंत्रालय |
संशोधित व्यापक हथकरघा समूह विकास योजना (एम.सी.पी.डी.एस.) |
12 |
कपड़ा मंत्रालय |
हथकरघा श्रमिकों हेतु यूनिवर्सल बीमा कवरेज योजना |
13 |
कपड़ा मंत्रालय |
एकीकृत क्षमता विकास योजना (आई.एस.डी.एस.) |
14 |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात संवर्धन विभाग |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम योजनाएँ |
15 |
निर्यात संवर्धन ब्यूरो, उत्तर प्रदेश सरकार |
निर्यात संवर्धन योजनाएँ |
16 |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति - 2017 |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात संवर्धन विभाग |
17 |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति - 2017 |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात संवर्धन विभाग |
18 |
ओ.डी.ओ.पी. |
सी.एफ.सी. (सामान्य सुविधा केंद्र) योजना |
19 |
ओ.डी.ओ.पी. |
विपणन विकास सहायता योजना |
20 |
ओ.डी.ओ.पी. |
वित्तीय सहायता योजना |
21 |
ओ.डी.ओ.पी. |
क्षमता विकास एवं टूल किट वितरण योजना |
22 |
उद्यम एवं क्षमता विकास मंत्रालय |
प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पी.एम.के.वाई.वाई.) |
23 |
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, वाणिज्य विभाग |
निर्यात कैसे करें (चरणबद्ध प्रकार) |
24 |
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, वाणिज्य विभाग |
विदेश व्यापार नीति |