लकड़ी शिल्प जिले के मुख्य हस्तशिल्प में से एक है, जो लगभग 400 वर्ष पुराना माना जाता है। यह उत्पाद अपने सुंदर और नक्काशीदार अभिकल्पना के लिए जाना जाता है। उद्योग में शीशम की लकड़ी प्रमुख कच्ची सामग्री मानी जाती है। जिले की निर्यात इकाइयों द्वारा इन नक्काशीदार लकड़ी के फर्नीचरों एवं हस्तशिल्प उत्पादों को विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता है। इस उद्योग ने क्षेत्र में लघु स्तरीय स्व-रोजगार को बढ़ावा भी दिया है एवं प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से जिले में अनेक रोजगार के अवसर भी पैदा किये हैं।
वर्ष 1997 में सहारनपुर जिले को सहारनपुर डिवीज़न का दर्जा प्राप्त हुआ। जिले में मौजूद प्रमुख खनिज चूना पत्थर (लाइमस्टोन) है। यहां की भौतिक स्थिति एवं जल-वायु परिस्थिति सहारनपुर जिले की स्थलाकृति को बेहतर बनाने में खास भूमिका निभाता है, जिसके चलते इस जिले को देश में पर्यावरण के दृष्टिकोण से काफी महत्ता दी जाती है। जिले की लगभग 3,32,229 हेक्टेयर का क्षेत्र वनीय है या कह सकते हैं कि जिले की 9.13% भूमि वनीय है। शिवालिक क्षेत्र के अंतर्गत शीशम, साल आदि के जंगल पाए जाते हैं। जिले में कुल पंजीकृत औद्योगिक इकाइयां 12,172 हैं।
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