टेराकोटा एक अनूठे एवं विशेष प्रकार का चीनी मिट्टी शिल्प है। यह शब्द आमतौर पर मिट्टी से बनी मूर्तियों के लिए उपयोग किया जाता है एवं विभिन्न बर्तनों (विशेष रूप से फूलदान) जल एवं अपशिष्ट जल पाइप, छत की टाइलों, ईंटों और सतही सजावट सहित विभिन्न उपयोगों के लिए भी प्रयोग किया जाता है। मुख्य रूप से इसे अन्य शिल्प से अलग इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इसमे अलंकरण, प्राकृतिक रंगों का उपयोग/ रंगों और आकारों के साथ रचनात्मकता को बढ़ावा भी दिया जाता है। इस शिल्प के लिए जिस कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है वो एक प्रकार की मृदा है जो स्थानीय रूप से उपलब्ध होती है। इससे उत्पाद को प्राकृतिक रंग प्राप्त होता है। यहां लगभग 200 घर इस कार्य में संलिप्त हैं एवं इसी के माध्यम से अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
गोरखपुर उत्तर प्रदेश के प्रमुख एवं बड़े जिलों में से एक है, जो गोरखपुर मंडल के अंतर्गत आता है एवं गोरखपुर शहर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। गोरखपुर उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में आता है, जो भारत एवं नेपाल की सीमा से नजदीक है। यह जिला राज्य के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है एवं देवरिया जिले से सटा हुआ है एवं आजमगढ़ जिले की दक्षिणी सीमा से भी जुड़ा हुआ है। गोरखपुर जिला पश्चिम दिशा में बस्ती, पूर्वी दिशा में देवरिया एवं छोटी गंडक नदी एवं दक्षिण दिशा में झरना नाले की सीमा से जुड़ा हुआ है। इसकी उत्तरी दिशा में नेपाल देश स्थित है।
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