ज़री-ज़रदोज़ी
ज़री का काम मुख्यतः तीन प्रकार के धागों से किया जाता है – सोने, चांदी और रेशम । वर्तमान में जनपद में ज़री –जरदोज़ी के काम में हज़ारों छोटी इकाइयाँ लिप्त हैं । लगभग 2 लाख लोग इस कार्य से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं । ज़री-ज़रदोज़ी से सुसज्जित बहुत से सामान यथा वस्त्र, हैंड बैग्स, जाकेट्स, साड़ियाँ, लहँगे इत्यादि बाज़ारों में आसानी से उपलब्ध हैं ।
परिचय
बरेली उत्तर प्रदेश का एक महानगर है । यह जनपद रामगंगा नदी के किनारे स्थित है, बरेली मंडल का मुख्यालय तथा फ़र्नीचर और ज़री का एक मुख्य केंद्र भी है । लखनऊ, कानपुर व आगरा के बाद बरेली उत्तर प्रदेश का चौथा जनपद है जहाँ सी.एन.जी. फ्यूल स्टेशन हैं । बरेली उत्तर प्रदेश का 7वाँ तथा देश का 50वाँ बड़ा महानगर है । यहाँ पर बांस की काफी बड़ी मण्डी होने के कारण तेज़ी से विकसित होता हुआ जनपद बांस-बरेली के नाम से भी जाना जाता है । बरेली जनपद दिल्ली और लखनऊ से लगभग समान दूरी पर स्थित है तथा स्वयं में औद्योगीकरण व लोगों के निर्वासन की अपार संभावनाएँ रखता है ।
बांस के उत्पाद / सुनारी उद्योग
बरेली को बांस बरेली नाम से भी जाना जाता है यद्यपि इस नाम का संबंध यहाँ पर बांस पाये जाने से नहीं है | फिर भी इस जनपद में बांस से बहुत से उत्पाद बनाए जाते हैं | इन उत्पादों को सजावटी सामानों की श्रेणी में रखा जा सकता है | बांस से बने फर्नीचर भी यहाँ बहुलता से उपलब्ध रहते हैं | यह कुटीर उद्योग के तौर पर इस जनपद में विकसित है तथा यहाँ की जनसंख्या के एक बड़े भाग को इस काम से रोजगार मिलता है |
- ज़री
- कागज आधारित
- कपूर और संबंधित उत्पाद
- खांडसारी उद्योग
- मिनरल वाटर
- पेट्रो एवं बोतल निर्माण उद्योग
- रेलवे आधारित
- रसायन आधारित
- सूती धागा
- चावल
- मेंथा
- बांस के उत्पाद / सुनारी उद्योग
- रेडी मेड वस्त्र एवं कढ़ाई
- कृषि आधारित
- सोडा वाटर
- जूट एवं जूट आधारित
- लकड़ी/लकड़ी के फ़र्नीचर आधारित
- कागज व कागज उत्पाद
- चमड़ा आधारित
- रसायन/रसायन आधारित
- खनिज आधारित
- धातु आधारित
- इंजीनियरिंग इकाइयाँ
- विद्युत मशीनरी व यातायात उपस्कर
संबन्धित योजनाएँ एवं नीतियाँ